शाम के 6:00 बज रहे थे। अविनाश अपनी साई डिटैक्टिव एजेंसी के केबिन में बैठा कुछ पढ़ रहा था। तभी बेबी ने कमरे में प्रवेश किया। अविनाश ने सिर उठाकर उसको देखा।
“मैंने कहा, सर मैं आ जाऊँ”
“अरे हां , राजू कहां है।”
“सर दोपहर में बोल कर गया था कि वो वापस नहीं आएगा। उसे कुछ जरूरी काम है। कल सुबह आप से मिलेगा।”
“अच्छा ठीक है तुम जाओ।”
बेबी के जाने के बाद अविनाश फिर पढ़ने में व्यस्त हो गया। अचानक उसका ध्यान मोबाइल की घंटी से टूटा। उसने देखा तो एक अनजान नंबर फ्लैश हो रहा था। उसने कॉल रिसीव किया।
“हैलो।” उसे दूसरी तरफ से एक बहुत थकी हुई आवाज़ सुनाई दी। वह आदमी काफी डरी हुई आवाज़ में बोल रहा था।
“आप प्राइवेट डिटेक्टिव कैप्टन अविनाश बोल रहे हैं।”
“हां, बोल रहा हूं।”
“सर मैं सेठ धनपाल बोल रहा हूं। क्या मैं आपसे कुछ जरूरी बात कर सकता हूं ?”
“हां बताइए।”
“क्या आप अभी थोड़ी देर में मेरे घर आ सकते हैं?”
अविनाश ने पूछा,-“ लेकिन क्यों? आपको मुझसे क्या काम है?”
धनपाल ने बोला,-“ काम तो मैं आपको घर आने पर ही बताऊंगा। बस इतना समझ लीजिए कि मैं बहुत मुसीबत में हूं और आपसे सहायता चाहता हूं। आप घबराइए नहीं। आपको आपकी फ़ीस बराबर मिल जाएगी। लेकिन यह मेरी गुज़ारिश है आपसे कि आप मुझसे तुरंत मिले।”अविनाश ने एक गहरी सांस ली। अपनी घड़ी पर नजर डाली।
“अच्छा अपना पता बताइए।”
“मेरी कोठी बलरामपुर मोहल्ले में है। गली नंबर 3 मकान नंबर 9। आप किसी से भी मेरा नाम पूछ लीजिएगा। आपको पता ढूंढने में कोई दिक्कत नहीं होगी।”
“धनपाल साहब मैं आधे घंटे में पहुंचता हूं।” अविनाश ने अपनी टाई ठीक की, कोट पहना, गोल हैट सर पे रखी, अपनी लाइसेंसी पिस्टल को कोट के जेब मे डाला और अपनी होंडा सिटि कार में सवार हो गया। ठीक आधे घंटे बाद अविनाश सेठ धनपाल की हवेली के सामने था। उसने गार्ड को बुलाया और उससे कहा कि सेठ धनपाल ने उसे अभी मिलने के लिए बुलाया है। चौकीदार ने तुरंत हवेली के अंदर फोन से बात की। फोन रखने के बाद उसने हवेली का दरवाज़ा खोल दिया। अविनाश कार लेकर हवेली के भीतर दाखिल हुआ।
धनपाल की हवेली बहुत बड़ी थी। हवेली के चारों ओर बहुत बड़ा लान था। देखने से लग रहा की सेठ बहुत पैसे वाला था। अविनाश ने कार पोर्च के नीचे लगा दी और हाल मे जाकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद एक नौकर उसके पास आया और बोला कि सेठ आपको कमरे मे बुला रहें हैं। अविनाश ने कमरे में प्रवेश किया। धनपाल एक बहुत आलीशान बेड पर लेटा हुआ था। लेकिन चेहरे से बहुत बीमार लग रहा था।
“मिस्टर अविनाश कुर्सी ले लीजिए और मेरे पास बैठ जाइए।” उसने तुरंत घंटी बजाई और नौकर से चाय पानी लेकर आने के लिए कहा।
“घर ढूंढने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई।”
“कुछ खास नहीं। आपको आसपास सब लोग जानते हैं।” थोड़ी देर मे नौकर चाय पानी ले कर के आया। चाय का प्याला पकड़ने के बाद अविनाश ने धनपाल से पूछा,-“ सेठ साहब आपने मुझे यहां क्यों बुलाया है? मेरा नंबर आपको किसने दिया?”
धनपाल ने कहा,-“ मुझे आपका नंबर आपके पिताजी से मिला है। आपके पिताजी से ही मुझे पता लगा कि आपने अपनी साई डिटेक्टिव एजेंसी खोली है। शायद आपको अपने पिताजी के होटल के बिज़नेस में कोई रुचि नहीं है।” अविनाश हँसने लगा।
“नहीं। ऐसी बात नहीं है। पर मुझे एडवेंचरस काम करने में ज्यादा मज़ा आता है।”
“ठीक है अब मुद्दे पर आते हैं।”
अविनाश ने कहा,-“ अब आप अपनी समस्या बताइए।” धनपाल ने कहना शुरू किया।
“मेरी उम्र 60 साल है। मैं हीरो का व्यापारी हूं। मुझे पैसों की कभी कमी नहीं रही और भगवान की कृपा से मुझे पुश्तैनी जायदाद जी काफी मिली है। आज से 20 साल पहले मेरी पहली बीवी की मृत्यु हो गई थी। मेरी उससे एक लड़की है जिसका नाम नमिता है। वो करीब 30 साल की है उसने अभी तक शादी नहीं की है। मेरा एक भतीजा है घनश्याम। वो भी करीब 35 साल का है और उसने भी अभी तक शादी नहीं की है। आज से करीब 3 साल पहले मैंने एक लड़की से दोबारा शादी की। उसका नाम है सोनिया। वह मुझसे उम्र में काफी छोटी है। इस समय मेरी देखभाल सोनिया ही करती है। हमारी उम्र में काफी फ़ासला होने के बावजूद सोनिया मुझे बहुत प्यार करती है। पूरी जिंदगी में काफी नशा करने के कारण मुझे काफी बीमारियाँ हो गई हैं। मेरा दिल बहुत कमजोर हो गया है। मुझे पहले ही दो अटैक आ चुके हैं। इसलिए अब मैं काम पर भी कभी कभी ही जा पाता हूं। डॉक्टर ने मुझे काम पर जाने से मना किया है। मैं अपने कमरे में पड़ा आराम करता हूं। बाकी एक आदमी है खाना बनाने वाला जो दिन में रहता है और रात में चला जाता है। एक माली है जो हवेली के बाहर की देखभाल करता है और एक नौकरनी है जो हम सब के सेवा करती है। नौकरनी हवेली मे फुल टाइम रहती है।
अविनाश ने पूछा,-“ लेकिन आपकी समस्या क्या है?”
धनपाल ने कहा,-“ हां, मैं उसी मुद्दे पर आता हूं। इधर करीब 1 महीने से रात 1:00 से 2:00 के बीच रात में सोते समय मुझे ऐसा महसूस होता है कि कोई मेरी खिड़की के शीशों को खटखटा रहा है। और बाक़ायदा मुझे किसी साए का एहसास होता है। इसके बाद मैं डर के बैठ जाता हूं। ऐसे ही मेरा दिल काफी कमजोर है। कई बार मैंने गार्ड से कहा कि क्या लान के आसपास कोई आदमी है ? और सबसे खास बात यह है कि उसे किसी आदमी का एहसास नहीं होता। मुझे ऐसा महसूस होता है कि जैसे मुझे कोई डराने की कोशिश कर रहा है।”
तब तक अविनाश ने पूछा,-“आवाज़ आपकी बीवी को भी तो सुनाई देती होगी।”
“नहीं मैं अपने कमरे में अकेले सोता हूँ। मेरी बीवी सोनिया का कमरा ऊपर फ़र्स्ट फ्लोर पर है।”
“वह सब तो ठीक है लेकिन अब आप मुझसे चाहते क्या हैं?”
धनपाल ने कहा,-“ मैं चाहता हूं कि तुम इसका पता लगाओ। इसमें कोई सच्चाई है या ये मेरा भ्रम है। क्योंकि मैंने यह बात अपने दोस्तों से डिस्कस की थी पर सभी ने हँस के टाल दिया। इतना ही नहीं मेरे फैमिली डॉक्टर ने भी इसे मेरे दिमाग का एक वहम बता कर टाल दिया। पर मैं आपसे सही कह रहा हूं। मुझे खिड़की पर लगे शीशे के खटखटाए जाने की आवाज़ साफ सुनाई देती है।”
“ठीक है धनपाल साहब। मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूं। आप घबराइए नहीं। आप अपने दरवाज़ा और खिड़कियाँ बंद करके सोया कीजिए।”
“वह तो मैं हमेशा करता हूं।”
“क्या मैं आपकी बीवी से मिल सकता हूं?”
“हां, क्यों नहीं?”
उसने तुरंत नौकर को बुलाया और कहा इनको सोनिया मेमसाब से मिलवा दो। इसके बाद नौकर अविनाश को सोनिया के रूम में लेकर के गया। नौकर बोला,-“ मेम साहब, साहब ने भेजा है इन्हें आपसे मुलाकात करने के लिए।”
सोनिया एक बहुत ही खूबसूरत और नौजवान लड़की थी। सोनिया बहुत अदब से बेड से उठी और अविनाश को सोफे पर बिठाया। “आप कौन हैं? और मुझसे क्यों मिलना चाहते हैं?”
अविनाश ने कहा,-“मैं एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ। पिछले कुछ दिनो से आपके हस्बैंड को रात मे खिड़की के आसपास कुछ आवाज़ सुनाई दे रही है। उसी सिलसिले में उन्होंने मुझे बुलाया था।मैं आपसे कुछ चंद सवालात करना चाहता हूं।”
“हां करिए।”
“क्या लगता है? आपके हस्बैंड जो कह रहे हैं वह सब ठीक है।”
“नहीं। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। आपको तो पता लग ही गया होगा कि धनपाल इधर काफी दिन से बीमार चल रहे हैं। हम सभी ने भी पता लगाने की कोशिश की है। किसी को भी किसी आदमी की मौजूदगी का एहसास नहीं हुआ। शायद लंबे समय से बीमार रहने के कारण यह एक दिमाग का वहम हो सकता है। लेकिन मैं यही चाहती हूं कि फिर भी धनपाल की तसल्ली के लिए आप इस घटना की तफ्तीश करें।”
अविनाश उठते हुए बोला,-“ सोनिया जी ठीक है। अब मैं चलता हूं। हां अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं आपके लान का एक चक्कर लगा लूँ।”
“हां हां बिल्कुल, आप जो चाहे देख सकते हैं।”
“धन्यवाद।” उसके बाद अविनाश हवेली के दरवाज़े से लॉन में आ गया। उसने हवेली को बड़े ध्यान से देखा। हवेली के चारों तरफ फूलों का बगीचा था। धनपाल का रूम हवेली के पीछे साइड पर था। वह लान में चलते हुए हवेली के पीछे धनपाल के रूम में लगी हुई खिड़की के पास आ गया। खिड़की करीब ज़मीन से 3 फुट पर थी। टॉर्च जलाकर उसने ध्यान से खिड़की के आस पास क्यारियों मे कुछ निशान ढूंढने की कोशिश की। पर उसे कुछ भी आसपास दिखाई नहीं दिया और न ही किसी की मौजूदगी का अहसास लगा।खिड़की से हटकर वह हवेली की बाउंड्री की तरफ चला गया। हवेली के पीछे घिरी हुई बाउंड्री वाल की हाइट इतनी थी कि कोई भी उसे आसानी से पार कर सकता था। उसने मन ही मन सोचा हो सकता है कोई रात में बाउंड्री लांघ कर लॉन में आ जाता हो और खिड़की पर दस्तक देकर भाग जाता हो। लेकिन हवेली के आस पास किसी और आदमी की उपस्थिती का एहसास नहीं हुआ। यह भी हो सकता है की वाकई यह धनपाल जी के दिमाग का भ्रम हो। यह कोई बहुत गंभीर मसला नहीं है। यह किसी की शरारत भी हो सकती है। इसके बाद वह अपनी कार की तरफ चल दिया। जाते हुए अचानक उसने एक नजर हवेली की छत पर डाली तो उसने देखा कि सोनिया छत पर खड़ी होकर उसे देख रही है। अविनाश की नजर सोनिया की नजर से मिली तो वह तुरंत वहां से चली गई। इसके बाद अविनाश अपनी कार में वापस चला आया।
दूसरे दिन राजू ने अविनाश के केबिन में प्रवेश किया और पूछा,-“सर कल आप हमें पूछ रहे थे।”
“यू ही। कुछ खास काम नहीं था।”
“मैं ज़रा घर के काम से बाहर चला गया था।” घंटी बजा कर अविनाश ने बेबी को भी अंदर बुला लिया। फिर अविनाश ने राजू और बेबी से कल की घटना के बारे में डिस्कस किया।
कहानी सुनने के बाद राजू बोला,-“ कहानी सुनने से तो यही लगता है कि यह सिर्फ धनपाल का भ्रम है।”
“हो सकता है। मैं तो उससे मिलने सिर्फ इसलिए चला गया था कि वह मेरे पिताजी का परिचित है। यह बात सही है कि काफी लंबे समय की बीमारी से वह थोड़ा नर्वस हो गया है। उसकी बीवी का भी ऐसा ही मानना था। एक शक ऐसा भी तो हो सकता है कि कोई वाकई उसको नर्वस करने की कोशिश कर रहा हो। कोई उसको लगातार डराने की कोशिश कर रहा हो। ये बात सही है कि धनपाल के अलावा घर में रहने वाले किसी भी व्यक्ति ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। हालांकि मैंने उसकी बीवी के अलावा किसी से बात नहीं किया है लेकिन मुझे पता है सब लोग ऐसा ही कहेंगे।”
राजू बोला,-“सर आपने किसी और से बातचीत नहीं की।”
“मैंने अभी जरूरी नहीं समझा। राजू एक काम करो। तुम आज रात से तीन-चार दिन के लिए सेठ धनपाल के बंगले पर पहरा लगा दो। हवेली के चारों तरफ बाउंड्री के पिछले वाले भाग से निगरानी लगाना शुरू कर दो। क्योंकि यदि कोई लड़का आता भी होगा तो पीछे से ही आता होगा।क्योंकि उधर कि बाउंड्री वाल छोटी है और धनपाल का कमरा हवेली के पीछे साइड मे है।”
“सर मैं दो तीन के लिए आदमी को निगरानी पर लगाता हूं।”
चार दिन बाद राजू अविनाश से बोलता है कि सर आपके के कहे के मुताबिक पहरा लगवा दिया था। करीब रात में 11:00 बजे से 3:00 बजे तक पिछले 4 दिनों में मेरे आदमियों ने किसी भी संदिग्ध को बाउंड्री लांघते हुए नहीं देखा।”
“इसका मतलब राजू वाकई ये धनपाल का वहम था। यह बात उसकी वाइफ भी कह रही थी। वह बीमार होने की वजह से थोड़ा सा वहमी हो गया है। ऐसा करो राजू अब हम इस केस पर काम नहीं करेंगे। बाद में देखा जाएगा।”
“ठीक है सर जैसा आप उचित समझें।”
अविनाश बोला,-“पर बेबी इस केस की डीटेल लिख लो। भविष्य में इसकी जरूरत हमें पड़ सकती है।”
“अच्छा ठीक है सर। अब मैं जाती हूं।”
“हां ठीक है। अब तुम दोनों जाओ।”
इस घटना के करीब ढाई महीने बाद एक दिन सुबह अविनाश बैठा अपने केबिन में कुछ काम कर रहा था कि अचानक उसे इंस्पेक्टर मनोज का फोन आया।
“हेलो मनोज गुड मॉर्निंग क्या कर रहे हो? किस लिए फोन किया है?”
“गुड मॉर्निंग अविनाश। जब तुम्हारी जरूरत महसूस होती है मैं तभी फोन करता हूं।”
“शौक से कहो क्या जरूरत है।”
“यार, आजमनगर के रहने वाले एक हीरे के व्यापारी की उसी की हवेली में हत्या हो गई है। मुझे अभी अभी जानकारी मिली है। किसी ने उसे गोली मार दी। लाश सबसे पहले उसकी बीवी ने सुबह करीब 9:00 बजे देखी थी। मैं चाहता हूं कि तुम भी मेरे साथ चलो।”
अविनाश ने कहा,-“ कहीं सेठ का नाम धनपाल तो नहीं है।”
“हां। तुम ठीक कह रहे हो।”
“ठीक है तुम चलो। मैं भी पीछे-पीछे पहुंचता हूं।” हवेली पर करीब इंस्पेक्टर मनोज, सब इंस्पेक्टर राहुल और अविनाश एक साथ पहुंचे। सबने सेठ की हवेली के अंदर प्रवेश किया। हवेली के अंदर काफी लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। इंस्पेक्टर ने एक आदमी को इशारे से अपने पास बुलाया।
“क्या आपने ही मुझे सूचना दी थी कि सेठ धनपाल की हत्या हो गई है?”
“मैंने हत्या की सूचना नहीं दी थी।” उसने इशारे से एक आदमी को पास बुलाया।
“यह सेठ धनपाल के भतीजे घनश्याम हैं। शायद इन्होंने आपको बुलाया हो।”
“मिस्टर घनश्याम आपने मुझे बुलाया था।”
“हां। मैंने ही आपको फोन किया था। मेरे चाचा धनपाल की किसी ने हत्या कर दी है।”
“लाश कहां है।”
“फ़र्स्ट फ्लोर पर एक बेडरूम में है।”
“चलो मुझे लाश दिखाओ।” अविनाश और सब इंस्पेक्टर राहुल भी इंस्पेक्टर मनोज के साथ हो लिए।
मनोज बोला,-“ किसी ने लाश को हाथ तो नहीं लगाया है।”
“नहीं सर।”
“क्या यही सेठ साहब का बेडरूम है?”
घनश्याम ने कहा,-““नहीं सर। उनका बेड रूम ठीक इस रूम के नीचे ग्राउंड फ्लोर पर है। उस शाम एक छोटी सी पार्टी थी हमारे फ़र्स्ट फ्लोर के टेरेस पर। पार्टी खत्म होने के बाद चाचा इसी रूम मे सो गए। वे नीचे अपने बेडरूम में नहीं गए।”
सेठ धनपाल की लाश बेड पर पड़ी हुई थी। किसी ने उनके सीने में गोली मार दी थी। बेड पर और फर्श पर खून बिखरा हुआ था। राहुल ने लाश की तस्वीर खींच ली। बेड के सिरहाने पर एक छोटा सा टेबल रखा था। जिसपर पानी का एक जग और शीशे की एक ग्लास थी।
अविनाश ने राहुल से बोला,-“ राहुल यह जग और ग्लास उठा लो। हो सकता है हमें कातिल का फिंगर प्रिंट इस पर से मिल जाय।”
मनोज ने पूछा,-“ अविनाश क्या विचार है तुम्हारा?”
अविनाश ने कहा,-“ यदि तुम्हारी इजाज़त हो इस रूम का थोड़ा मुआयना कर लूँ।”
“ठीक है। तब तक मैं हाल में बैठे व्यक्तियों का स्टेटमेंट लेता हूं। तब तक तुम इस रुम का और घर का मुआयना कर लो। पर किसी चीज को हाथ मत लगाना।”
“हां ठीक है।”
इंस्पेक्टर मनोज राहुल के साथ नीचे हॉल में चला गया। अविनाश ने धनपाल के रूम की तलाशी लेनी शुरू कर दी। उस बेडरूम में एक खिड़की थी। अविनाश खिड़की के पास गया तो देखा कि खिड़की बंद तो थी पर अंदर से कुंडी नहीं लगी हुई थी। फिर उसने बड़े ध्यान से खिड़की का मुआयना किया तो पाया कि खिड़की के ऊपर कुछ निशान थे। शायद जूतों के निशान प्रतीत हो रहे थे। फिर उसने बड़ी बारीकी से पूरे रूम का मुआयना किया। उसे पूरे रूम में कुछ भी गलत नहीं मिला। ऐसा लग रहा था किसी ने रूम कि सफाई कर दी हो। इसके बाद वह नीचे हॉल में चला गया।
उसने मनोज से धीरे से कहा,-“ दरवाज़े के हैंडल पर, खिड़की के हैंडल पर तथा खिड़की में पड़े जूतों के निशान के प्रिंट लेने के लिए कह दो। और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दो। इस समय घर मे उपस्थित लोगों की मानसिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। डीटेल स्टेटमेंट लेने के लिए हम लोग एक दो दिन बाद आएंगे।”
मनोज ने कहा,-“शायद तुम ठीक कह रहे हो।” उसने राहुल को पास बुलाया और बोला फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट से निशान उठाने के लिए कह दो और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो। इसके बाद मनोज और अविनाश हवेली से बाहर आ गए।
अविनाश ने कहा,-“ मनोज, आओ हवेली का चक्कर लगा कर आते हैं।”
दोनों ने हवेली का चक्कर लगाया तो पाया की हवेली के चारों तरफ बहुत ही खूबसूरत बागवानी थी। फिर वे हवेली के पीछे साइड पहुंचे। जिस रूम मे धनपाल की हत्या हुई थी उसमें लगी हुई खिड़की के नीचे वे खड़े हो गए। खिड़की करीब ज़मीन से 15 फुट पर थी।
अविनाश ने मनोज से कहा,-“ मनोज देख रहे हो जिस रूम में धनपाल का कत्ल हुआ था और जिस रूम में धनपाल रहते थे उस दोनों रूम की खिड़की बिल्कुल ऊपर नीचे है। और छत से एक पानी की पाइप नीचे आ रही है। और यह पाइप ठीक दोनों खिड़कियों के बगल से आ रही है। मनोज, यह तो साफ़ है कि जिसने भी सेट धनपाल का कत्ल किया है वह इसी टाइप के रास्ते से खिड़की तक गया है।”
“हां अविनाश तुम ठीक कह रहे हो। पाइप के रास्ते रूम तक जाना कोई मुश्किल काम नहीं है। और हमें खिड़की पर जूतों के निशान भी मिले हैं। यदि कोई आदमी सेठ धनपाल का कत्ल करके खिड़की से आया होगा तो उसके जूतों के निशान ज़मीन पर ज़रूर पड़ा होना चाहिए। देखो आसपास क्यारियों में क्या कोई हमें निशान मिलते हैं।”
वे दोनों फूलों की क्यारियों में निशान को बड़ी बारीकी से तलाशते हैं। अचानक अविनाश को एक साइलेंसर लगी हुई गन मिलती है। “मनोज, यहाँ झाड़ियों में छुपी एक गन दिखाई दे रही है।”
“अविनाश, गन को हाथ नहीं लगाना। हो सकता हो इसी गन से कत्ल हुआ हो।”
“तू सही कह रहा है। हमने काफी तलाशी ले ली है। चल अब चलते हैं और हाँ कल राहुल को भेज कर घर वालों के हाथ के निशान ले लेना।” इसके बाद मनोज और अविनाश,मनोज की जीप से वापस चले जाते हैं।” 2 दिन बाद इंस्पेक्टर मनोज अविनाश से मिलने उसके एजेंसी आया।
“हेलो अविनाश, कैसे हो।” “ठीक हूं।”
“तुम्हारे लिए कुछ जानकारी ले आया हूं।” उसने पोस्टमार्टम रिपोर्ट अविनाश के सामने रख दी।
अविनाश ने कहा,-“ तुम मुझे ऐसे ही बता दो। मुझे पढ़ने की जरूरत नहीं है।”
मनोज ने कहा,-“ सेठ धनपाल की हत्या उसके रुम में करीब रात 1:00 से 2:00 के बीच हुई थी। एक गोली चलाई गई थी। जो गन हमें क्यारी में पड़ी हुई मिली थी, गोली उसी गन से चली थी। और मैंने बैलेस्टिक एक्सपर्ट से उसका टेस्ट भी करा लिया है।”
अविनाश ने पूछा,-“ वह किस की गन है”
“वह किसी डॉक्टर मयंक धीर के नाम से रजिस्टर्ड है। पर गन से कोई भी उंगलियों के निशान नहीं मिले हैं।”
“वह तो मुझे पता था कि गन से किसी के भी उंगलियों के निशान नहीं मिलेंगे। और बाकी निशान के बारे में क्या है?”
मनोज ने कहा,-“दरवाज़े और खिड़की के हैंडल में से जो निशान मिले हैं वो घर वालों के अलावा किसी और के नहीं हैं।
“इसका मतलब हत्यारा कोई घर वाला ही है या कोई बाहर का है जो दस्ताने पहनकर आया था।”
“जग और गिलास पर से भी जो निशान मिले हैं वह सिर्फ धनपाल की उंगलियों के हैं। खिड़की के ऊपर से जो जूते के निशान मिले हैं वह बहुत स्पष्ट नहीं है। अभी तो बस इतनी ही जानकारी मिली है।लाश घर वालों को सौप दी गई है।”
अविनाश ने कहा,-“और हां यदि तुम इजाजत दो तो मैं कल सुबह अपने असिस्टेंट राजू के साथ सेठ धनपाल के सगे-संबंधियों से पूछताछ करना चाहूंगा।”
“ठीक है तुम पूछताछ कर सकते हो। पर कानून अपने हाथ में नहीं लेना। मेरी कोई जरुरत हो तो मुझे सूचना दे देना और इस केस में हुई प्रोग्रेस के बारे में मुझे समय-समय पर बताते रहना।” इसके बाद इंस्पेक्टर मनोज वापस चला गया।
दूसरे दिन सुबह अविनाश बेबी से कहता है,-“ बेबी, अभी मैं धनपाल के घर जा रहा हूं। अगर कोई फोन आए तो कहना कि मैं शाम को मिलूंगा। इसके बाद अविनाश और राजू धनपाल की कोठी पर पहुंचते है।अविनाश राजू से कहता है की राजू सारी बातें नोट करते रहना। सबसे पहले वह धनपाल की बीवी सोनिया से मिलता है।
“माफ कीजिएगा। मैं प्राइवेट डिटेक्टिव कैप्टन अविनाश हूं। मैं आपसे करीब ढाई महीने पहले भी मिला था। जब आपके हस्बैंड को यह वहम हो गया था कि रात में उनके खिड़की का शीशा कोई खटखटाता है।”
सोनिया ने कहा,-“हाँ आपको पहचान गई। आइए बैठिए।”
“मुझे पता ये उचित समय नहीं है बात करने का। पर क्या करें ये कत्ल का केस है? मुझे इंस्पेक्टर मनोज ने भेजा है सेठ धनपाल के कत्ल की तफ्तीश करने के लिए। फिलहाल अभी इंस्पेक्टर मनोज बहुत व्यस्त हैं।वो भी आप लोगों से इस क़त्ल के केस में पूछताछ करने आएंगे। यदि आपको कोई दिक्कत ना हो तो मैं आपसे चंद सवालात करना चाहूंगा। आप मुझे अपने और सेठ धनपाल के बारे में कुछ बताइए।”
सोनिया ने कहा,-“ यह तो मेरे लिए बहुत खुशी की बात है कि आप धनपाल के हत्यारे की तलाश कर रहे हैं। सेठ धनपाल इस शहर के बहुत रईस आदमी थे। वो कुल चल और अचल संपत्ति मिलाकर करोड़ों के मालिक थे। उनकी पहली बीवी पुष्पा का देहावसान जब हुआ तब वह 40 साल के थे। उनकी पहली बीवी से उनकी एक लड़की है नमिता। थोड़े टाइम बाद उनके बड़े भाई की कार एक्सीडेंट में रहस्यमय ढंग मृत्यु हो गई, तो उन्होंने अपने भतीजे घनश्याम को भी अपने साथ रख लिया। मेरी सेठ धनपाल से मुलाकात उनके वकील तनेजा के घर हुई थी। एक समय मैं वकील तनेजा की असिस्टेंट थी। हम लोगों में प्यार हो गया। इसके बाद हम लोगों ने कोर्ट मैरिज कर ली और वह मुझे लेकर के यहां चले आए। तब से इस घर में मैं, मेरे पति धनपाल, धनपाल का भतीजा घनश्याम, और उनकी लड़की नमिता साथ रहते हैं। पर मेरी घनश्याम और नमिता से एकदम नहीं पटती है। पिछले कुछ सालों से धनपाल को दारू की बहुत बुरी लत लग गई थी। जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया था। पिछले 1 साल से तो डॉक्टर ने उनको नशा नहीं करने की सलाह दी थी पर वह मेरी एक दम नहीं सुनते थे। पिछले ढाई महीने पहले जब मेरी आपसे मुलाकात हुई थी तब उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। करीब उस घटना के 15 दिन बाद वह कोमा में चले गए। उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन शायद भगवान की कृपा और मेरी मेहनत से उनकी स्थिति में सुधार होने लगा और थोड़े ही दिन में वह पूरे स्वस्थ हो गए। पर शायद भगवान को यह मंज़ूर ना था। परसों शाम को हमने टेरेस पर एक छोटी सी पार्टी रख रखी थी। पार्टी के दौरान उनकी हालत खराब होने लगी तो मैंने उनको अपने रूम के बगल वाले रूम में ही सुला दिया। हालांकि उनके सोने का कमरा नीचे था। उसके बाद रात में किसी ने उसी रुम में उनकी हत्या कर दी। इसके बाद सोनिया रोने लगी।”
अविनाश ने कहा,-“ प्लीज आप शांत हो जाइए। मैं आपका दुख दर्द समझ सकता हूं। अच्छा उस पार्टी में कौन-कौन लोग मौजूद थे। मैं, धनपाल का वकील तनेजा, उनका फैमिली डॉक्टर डॉक्टर मयंक धीर,नमिता और घनश्याम।”
अविनाश ने मन ही मन कहा,-“ डॉक्टर मयंक धीर!”
“पार्टी करीब 9:00 बजे तक चली। उसके बाद ये लोग अपने अपने घर चले गए। मैं भी धनपाल को दवाई खिला कर और सुला कर के अपने रूम में जाकर सो गई। जैसा कि आपको पता ही है कि मुझे बागवानी का बहुत शौक है। मैंने सुबह उठकर के पेड़ पौधों को पानी दिया, क्यारियों की साफ सफाई की, इसके बाद रूम में आकर के मैंने बाथ लिया और करीब 9:00 बजे मैं चाय लेकर के धनपाल के रूम में गई। मैंने देखा कि धनपाल अपने बेड पर मरे हुए पड़े हैं। किसी ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद मैंने तनेजा और डॉक्टर मयंक को यहां बुला लिया। घनश्याम ने पुलिस को इन्फॉर्म कर दिया। उसके बाद जो हुआ वह सब आपको पता ही है।”
अविनाश ने कहा,-“राजू सब कुछ नोट कराते रहना।”
“हाँ सर।”
“सोनिया जी आप दोनों की उम्र मे काफी फासला है।इससे कभी आपको दिक्कत नहीं महसूस होती।”
“धनपाल मुझसे बहुत मोहब्बत करते थे और मैं भी उसे बहुत प्यार करती थी। प्यार का उम्र के फासले से कोई मतलब नहीं है। मैं शुरू से निजामपुर के अनाथालय मे रही हूँ इसलिए मैं प्यार की कदर जानती हूँ।”
“क्या आपकी शादी से घनश्याम और नमिता खुश थे।”
“नहीं। बिल्कुल खुश नहीं थे। मुझसे तो ये दोनों आज भी बहुत लड़ते झगड़ते हैं। उनको लगता है कि पैसे के लालच में धनपाल को मैंने फंसा कर शादी कर ली। पर आप मेरा विश्वास कीजिए शादी के लिए जोर धनपाल ने ही मेरे ऊपर डाली थी मैंने नहीं।”
“ये नमिता और घनश्याम का चाल चलन कैसा है?”
“यह दोनों एक नंबर के बदचलन और आवारा किस्म के हैं। शराब पीना, जुआ खेलना, होटल अटेंड करना यह सब इनके शौक हैं। रात में तीन चार बजे से पहले यह सब घर वापस नहीं आते। सेठ धनपाल इन दोनों से बहुत नाराज थे। उन्होंने तो इन दोनों को अपनी वसीयत से बेदखल करने की धमकी भी दे दी थी।”
“क्या धनपाल ने कोई वसीयत बनाई थी?”
“मुझसे शादी करने के तुरंत बाद उन्होंने एक वसीयत बनाई थी। अपनी पूरी चल और अचल संपत्ति को घनश्याम मुझ में और नमिता में बराबर-बराबर बांट रखा था।”
अविनाश ने पूछा,-“क्या आपके नॉलेज में है कि मरने से पहले सेठ धनपाल ने कोई और वसीयत बनाई हो। हो सकता है कि वाकई नमिता और घनश्याम को उन्होंने वसीयत से बेदखल कर दिया हो। और उन दोनों में से किसी ने गुस्सा खा करके उनको मार दिया हो।”
“मुझे इस बारे में नहीं पता है कि उन्होंने कोई दूसरी वसीयत बनाई है की नहीं। पर पहले वसीयत के बारे में सभी जानते हैं।”
“पहली वसीयत से तो नाराज़गी की कोई वजह ही नहीं है। खैर इसका तो पता मैं लगा लूँगा। आप मुझे वकील तनेजा और डॉक्टर मयंक का नंबर और बता दीजिए। मुझे नमिता और घनश्याम से मिलना है। उनसे हम कब मिल सकते हैं।”
“चलिए उन दोनों का कमरा मैं आपको दिखाती हूं। अभी वह दोनों आपको मिल जाएंगे।घनश्याम का कमरा ग्राउंड फ्लोर पर धनपाल के बगल वाला है।और नमिता का फ़र्स्ट फ्लोर पर मेरे बगल वाला।”
“ठीक है। बहुत-बहुत धन्यवाद।” इसके बाद सोनिया अविनाश को घनश्याम के कमरे में ले जाती है। दरवाज़ा खटखटाने पर घनश्याम दरवाज़ा खोलता है।
“घनश्याम, ये प्राइवेट डिटेक्टिव अविनाश। तुमसे कुछ तुम्हारे चाचा के खून के बारे में बात करना चाहते हैं।” घनश्याम एक नजर अविनाश को ऊपर से नीचे तक देखता है और कहता है अंदर आइए। इसके बाद सोनिया चली जाती है। घनश्याम दरवाज़ा बंद कर लेता है और पास ही में रखी कुर्सी पर बैठ जाता है।
“बोलिए आप मुझसे क्या बात करना चाहते हैं?”
“घनश्याम मुझे आपके चाचा की हत्या के केस की तफ्तीश करने के लिए किसी ने नियुक्त नहीं किया है। पर आपके चाचा जी मेरे पिताजी के जानकार थे इसलिए मैं इसे अपना हक समझता हूं कि मैं उनकी कत्ल की तफ्तीश करूँ।
“जी पूछिये क्या जानना चाहते हैं।”
“मिस्टर घनश्याम आप क्या काम करते हैं ?”
“चाचा जी के बिजनेस में हाथ बटाता हूं।”
“लेकिन आप की चाची कह रही थी कि आप दिन भर आवारागर्दी करते है और इसी वजह से आपके चाचा आप से बहुत नाराज़ रहते थे। उन्होंने आपको जायदाद से बेदखल करने की धमकी भी दी थी।”
“मैं यह मानता हूं कि मेरी आदतों से मेरे चाचा मुझसे बहुत नाराज़ रहते थे। यह बात सही है कि उन्होंने मुझे कई बार अपनी जायदाद से बेदखल करने की धमकी भी दी थी। लेकिन मैं उनका कत्ल नहीं कर सकता। उन्होंने मुझे बचपन से पाला है। मेरे पिताजी की जायदाद भी उन्हीं के हिस्से में है। वो मुझे कितना भी डांटते थे लेकिन मैंने कभी उनका जवाब नहीं दिया।”
लेकिन उनके कत्ल से तो आपको बहुत फायदा हो सकता है। वह जिंदा रहते तो वाकई आप को अपनी जायदाद से बेदखल कर देते।”
“ऐसा हो सकता है। लेकिन मैंने कत्ल नहीं किया है।”
“आपके चाचा का कत्ल रात में 1:00 बजे से 2:00 बजे के बीच में हुआ। उस दौरान आप कहां थे?”
“मैं हवेली में नहीं था।”
“यह मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं हुआ। आप उस समय कहां थे?”
“मैं अपने दोस्तों के साथ जुआ खेल रहा था और शराब भी पी रहा था।”
“कोई इसकी गवाही दे सकता है।”
“मेरी गर्लफ्रेंड कविता दे सकती है। मेरे दोस्त भी दे सकते हैं।”
“आपको ड्रग्स की भी आदत है।”
“हां मैं ले लेता हूं अक्सर।”
“आज से करीब ढाई महीने पहले आपके चाचा ने मुझे बताया था कि रात में सोने के दौरान कोई उनके खिड़की के शीशे खटखटाकर चला जाता था। आप क्या कहेंगे इस बारे में।”
“वही जो सब कहते हैं। चाचा की तबीयत ज्यादा खराब थी इसलिए ये उनका वहम था।”
“आपकी चाची के बारे में आपका क्या विचार है?”
“उस औरत ने मेरे चाचा को बर्बाद कर दिया। मेरे चाचा उस औरत के प्यार के चक्कर में पड़ गए। उस औरत ने मेरे चाचा को शराब की लत भी लगाई। मैं उस औरत से कभी बात नहीं करता।”
“ठीक है अगर मुझे जरूरत हुई तो मैं दोबारा आपसे बात करूंगा।”
“शौक से करिएगा।”
“मुझे आपकी बहन नमिता से मिलना है।”
ठीक इसके ऊपर वाला रूम नमिता का है।”
“ठीक है धन्यवाद।” उसके बाद अविनाश नमिता के रूम में पहुंचता है। दरवाज़ा खटखटाने पर नमिता बाहर आती है।
“माफ़ कीजिएगा। मुझे कैप्टन अविनाश कहते हैं। मैं एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूं। आपके भाई और आपकी मां से मेरी मुलाकात हो गई है।
“वो मेरी मां नहीं है। मेरे पिताजी की एक भूल है।”
“ठीक है मैं समझ गया। मुझे आपसे कुछ जानकारी चाहिए”।
“आप अंदर आ जाइए। बोलिए मुझसे क्या जानकारी चाहते हैं?”
अविनाश ने पूछा,-“जब आपके पिताजी का कत्ल हुआ तब आप कहां थी?”
“मैं हवेली में नहीं थी।”
“मैंने पूछा आप कहां थी?”
“देखिए मेरे पिताजी के कत्ल से मेरा कोई वास्ता नहीं है।”
“बेहतर होगा की यह आप मुझ पर छोड़ दे। आप बताइए की आप कहां थी?”
“मैं रात में अपने बॉयफ्रेंड अजय के साथ होटल में थी। आप किस होटल में थी।”
“होटल स्टार।”
“ठीक है। आपकी अपनी इन्हीं आदतों की वजह से आपके पिताजी ने आपको अपनी वसीयत से बेदखल करने की धमकी दी थी।”
“मुझे उसकी कोई परवाह नहीं।”
“अगर वह आपको वसीयत से बेदखल कर देते तो आप इतने महंगे होटल में अपने बॉयफ्रेंड के साथ रात नहीं गुजार सकती थी। खैर ये आपका निजी मामला है। ठीक है मिस नमिता जी जरूरत हुई तो मैं आपसे दोबारा मिलूंगा।” इसके बाद अविनाश राजू के साथ अपने एजेंसी लौट आया।अविनाश,राजू और बेबी ने इस वार्तालाप को अविनाश के कैबिन मे डिस्कस किया।
बेबी ने कहा,-“सर, मुझे तो लगता है इनमें से तो कोई भी क़ातिल नहीं है। क्योंकि सभी के पास अपने अपने गवाह है। समय आने पर वे अदालत मे पेश हो सकते हैं।”
अविनाश ने कहा,-“बेबी,तुम ठीक कह रही हो।पर अभी एक मुलाकात से कुछ भी कह पाना मुश्किल है।” इसके बाद अविनाश ने सिगार जला लिया और कॉफी का घूंट लगाने लगा।
“राजू ऐसा करते हैं कि शाम को हम और तुम डॉ मयंक से और धनपाल के वकील तनेजा से भी पूछताछ कर लेते हैं।”
“ठीक है सर। आप जैसा कहें।” इसके बाद राजू और बेबी बाहर चले गए। अविनाश अपनी चेयर पर आंख मूंदकर कुछ सोचने लगा।तभी इंस्पेक्टर मनोज का फोन आ गया। अविनाश ने उसे अपनी पूछताछ के बारे में बताया। उसके बाद उसने मनोज से कहा आज शाम मैं और राजू डॉक्टर मयंक और वकील तनेजा से पूछताछ करने के लिए उसके घर जाएंगे।यार मनोज ऐसा करते हैं कल इत्मीनान से सेठ धनपाल की हवेली की तलाशी लेते हैं। और हाँ अभी ये बात डॉ मयंक से छुपाते कि कत्ल जिस गन से हुआ है वो उसकी है।”
मनोज ने कहा,-“ठीक है जैसा तुम कहो। कल 11:00 बजे के आसपास धनपाल के हवेली पर मिलते हैं। अभी तक हमारे हाथ कोई खास सबूत नहीं आया है।”
“तुम ठीक कह रहे हो।”
उस दिन शाम को अविनाश और राजू वकील तनेजा के घर पहुंचते हैं।
औपचारिकता के बाद अविनाश कहता है,-“तनेजा साहब मुझे आपसे कुछ बात करनी है। देखिए मुझे पता है कि आप पेशे से वकील है। आपको सारे कानूनी दाँव पेच पता है। मैं चाहता हूं कि धनपाल का कातिल पकड़ा जाए क्योंकि सेठ धनपाल मेरे पिताजी के मित्र थे। और जहां तक मुझे पता चला है वो आप के बहुत करीब थे।”
तनेजा ने कहा,-“आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। मैं उनसे उम्र में काफी छोटा हूं लेकिन मैं उनका बहुत करीबी मित्र था। उनकी सारी संपत्ति की देखभाल मैं ही करता हूँ। वह मुझसे कानूनी ही नहीं व्यक्तिगत सलाह भी लेते थे। इसलिए मैं बिल्कुल चाहता हूं कि उनका कातिल पकड़ा जाए। आपको क्या पूछना है?”
“आपकी उम्र क्या होगी?”
“करीब 40 साल।”
“आपने अभी तक शादी नहीं की है।”
“नहीं की है।”
“क्या सेठ धनपाल ने कोई वसीयत बनाई थी?”
“जब धनपाल ने अपनी दूसरी शादी सोनिया मैडम से की थी उसके तुरंत बाद उन्होंने एक वसीयत बनाई थी। जिसमें उसने अपनी सारी चल और अचल संपत्ति को अपनी बीवी सोनिया अपनी लड़की नमिता और अपने भतीजा घनश्याम मे बराबर बाँट दिया था।”
अविनाश ने कहा,-“लेकिन यह तो सरासर अन्याय है। जहां तक मुझे पता है सेठ धनपाल को अपने बड़े भाई की संपत्ति भी मिली थी। मेरा मतलब है घनश्याम के पिताजी की संपत्ति भी धनपाल के हिस्से में थी। हिसाब से तो घनश्याम का हिस्सा ज्यादा होना चाहिए था।”
“देखिए मैं धनपाल से कोई प्रश्न नहीं पूछता था। पर वह घनश्याम और नमिता के व्यवहार से बहुत दुखी थे। वे घनश्याम को बहुत मानते थे। उन्होंने घनश्याम को सुधारने की बहुत कोशिश की। लेकिन वह अंत तक नहीं सुधरा। दोनों बच्चे रात में निकल जाते थे और सुबह तक अय्याशी करके वापस आते थे। धनपाल से यह सब देखा नहीं जाता था। अतः वह इन बच्चों को बार-बार यह धमकी देते थे कि अगर वह सब नहीं सुधरे तो वह इन दोनों को अपनी जायदाद से बेदखल कर देंगे। लेकिन क्या करें साहब ये बहुत ही बदचलन और आवारा किस्म के लड़के हैं। इस वसीयत के बारे में घर में सबको पता था।”
अविनाश ने पूछ,-“तो क्या उन्होंने दूसरी वसीयत भी बनाई थी?”
“नहीं। दूसरी वसीयत लिखने से पहले ही उनकी हत्या हो गई।”
“दूसरी वसीयत में क्या था?”
“दूसरी वसीयत के हिसाब से अपनी पूरी संपत्ति का 50% भाग उन्होंने शिवम अनाथालय को दिया था। 30 परसेंट सोनिया को और 10:10 पर्सेंट घनश्याम और नमिता को। इस वसीयत की एक ड्राफ्ट बना कर के एक कॉपी मैंने अपने पास रखी थी और एक कॉपी डॉक्टर मयंक को दी थी पढ़ने के लिए। पर फाइनल साइन करने से पहले उनकी हत्या हो गई।”
“पहली वसीयत में आप और डॉक्टर गवाह थे।”
“हां।”
“क्या आपने पहली वसीयत रजिस्टर्ड करवाई थी?”
“हां।”
अविनाश ने पूछा,-“दूसरी वसीयत के ड्राफ्ट कॉपी के बारे में किस-किस को पता था।”
“सिर्फ मुझे और डॉक्टर मयंक को। पर मुझे यह नहीं पता कि उस ड्राफ्ट कॉपी को डॉक्टर मयंक ने अभी तक पढ़ा है की नहीं।”
“इसका मतलब दूसरा वसीयत उनकी हत्या की वजह हो सकती है। मिस्टर तनेजा हत्या के दौरान आप कहां थे ?”
“मैं अपने घर में ही था। रात का वक्त था इसलिए सो रहा था। लेकिन इसका कोई प्रूफ या गवाह मेरे पास नहीं है।”
“बहुत बहुत धन्यवाद। ”इसके बाद अविनाश और राजू डॉक्टर मयंक के घर गए। डॉ मयंक के घर के नीचे वाले हिस्से मे क्लीनिक और ऊपर वाले हिस्से मे उनका घर था। डॉ मयंक अभी क्लीनिक में बैठे थे। डॉ मयंक ने उनको ड्राइंग रूम में बैठा दिया और कहा कि अभी आप को आधा घंटा और इंतजार करना पड सकता है। मैं मरीज देख कर के ही आपसे मिल पाऊंगा। अविनाश ने कहा मुझे कोई जल्दी नहीं है। आप आराम से मरीज़ देख कर के आइए। हम आपका इंतजार कर रहे हैं। करीब 45 मिनट बाद डॉक्टर मयंक ड्राइंग रूम में दाखिल हुए।
“बताइए आप लोग क्या लेंगे ठंडा या गर्म?”
अविनाश ने कहा,-“कुछ नहीं। मुझे अविनाश कहते है और ये है मेरा असिस्टेंट राजू। मैं एक प्राइवेट डिटैक्टिव हूँ। मैं सेठ धनपाल के कत्ल की छान बीन कर रहा हूँ।सिर्फ आप मेरे कुछ सवालात का जवाब दे दीजिए।” डॉक्टर मयंक अपनी सीट से उठे और सामने रखी शीशे की अलमारी के एक खाने से उन्होंने एक गिलास निकाला और एक खाने से एक व्हिस्की की एक बोतल निकाली और व्हिस्की को गिलास में उड़ेल दिया। उस में बर्फ डाला और अविनाश के पास आकर बैठ गया।
“बताइए आप मुझसे क्यों मिलना चाहते हैं ?”
अविनाश बोला,-“आप धनपाल के फैमिली डॉक्टर हैं। उनका इलाज आप ही कर रहे थे।”
“आपने बिल्कुल ठीक समझा। मैं उनका दोस्त और फैमिली डॉक्टर दोनों था।”
“उनको क्या बीमारी थी?”
“हार्ट पेशेंट थे। दो अटैक पहले ही आ चुका था।”
“क्या वजह थी हृदय की बीमारी की।”
“यह कोई जरूरी नहीं की आपको बीमारी किसी वजह से ही हो। तनहाई भी एक वजह हो सकती है। ऐसे वह शराब बहुत पीते थे और सिगरेट भी।”
“अपने कभी मना करने की कोशिश नहीं की।”
“की थी। पर अगर हर मरीज़ डॉक्टर की बात मानने लगे तो कभी कोई कष्ट ही न हो।”
“वो कोई दूसरी वसीयत बनाने वाले थे।”
“हाँ उस वसीयत की ड्राफ्ट कॉपी तनेजा ने मुझे दी थी। पर मैंने उसे अभी तक पढ़ नहीं। वह मेरे अलमारी में पड़ी हुई है।”
“आपकी उम्र क्या होगी?”
“करीब 45 साल।”
“आपने अभी तक शादी नहीं की है।”
“न की है ना आगे इरादा है।”
“सेठ धनपाल के कत्ल वाली रात आप कहां थे?”
“आपको पता ही है की उस रात पार्टी थी। पार्टी से घर वापस आया, ड्रिंक लिया और सो गया।”
“एक आखिरी सवाल, क्या वजह थी कि सेठ धनपाल और सोनिया अलग अलग रुम में सोते थे?”
“मैंने ही सोनिया को सलाह दी थी। पिछले 6 महीने से धनपाल की हालत काफी खराब हो गई थी। उसका हृदय काफी कमजोर हो गया था।”
“बहुत-बहुत धन्यवाद। ठीक है अब हम चलते हैं। जरुरत हुई तो आपसे मैं दोबारा मिलूंगा। इसके बाद अविनाश और राजू अविनाश के घर आ गए।
खाना खाने के दौरान राजू ने पूछा,-“सर आपको क्या समझ में आ रहा है?”
“अभी तो फिलहाल मेरी समझ में वसीयत ही एक कारण है। पर अभी तफ़्तीश मुकम्मल नहीं हुई है। अभी और भी कई रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है। कल 11:00 बजे के आसपास मैं और इंस्पेक्टर मनोज धनपाल के घर जाएंगे। उनके नौकरों से भी मुझे पूछताछ करनी है।”
“ओ के सर मैं चलता हूं। गुड नाइट।”
“राजू के जाने के बाद अविनाश ने सिगार जला लिया और कुर्सी लेकर टेरेस पर बैठ गया। ठंड में ठंडी हवा उसके बदन को और मजा दे रही थी। वह कुछ कड़ियों को जोड़ने की कोशिश में लगा हुआ था। इसके बाद वह सोने के लिए चला गया।दूसरे दिन करीब 11:00 बजे इंस्पेक्टर मनोज के साथ अविनाश ने धनपाल के घर में प्रवेश किया। । नौकर ने उन लोगों को ड्राइंग रूम में बैठाया और सोनिया को बुलाने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद सोनिया आई। उसके चेहरे पर काफी उदासी थी।
आते ही इंस्पेक्टर मनोज ने कहा,-“ हम आप के घर की तलाशी लेना चाहते हैं।”
“हां शौक से लीजिए।”
अविनाश ने कहा,-“ सेठ धनपाल का कमरा कौन सा था?”
सोनिया ने कहा,-“ आइए मैं आपको कमरा दिखाती हूं।” कमरा ग्राउंड फ्लोर पर हवेली के पीछे वाले हिस्से मे था।
अविनाश और मनोज ने दस्ताने पहन लिए।कमरा बहुत बड़ा था जिसमें बीचोबीच एक बेड रखा हुआ था। बेड से ही सटा हुआ एक छोटा सा टेबल था। और बेड के दाहिने साइड एक स्टडी टेबल और चेयर थे। कमरे में एक जगह अलमारी रखी थी। वो अलमारी फाइलों से भरी हुई थी। अविनाश ने अलमारी में रखी फाइलों को बारी-बारी से देखना शुरू किया। उसे कुछ भी खास नहीं मिला। फिर उसने स्टडी टेबल के दरवाज़ों को देखना शुरु किया। अचानक उसे ऊपर वाले दरवाज़े में एक फाइल दिखाई दी। अविनाश ने जैसे ही फाइल पलटी उसे एक फोटोग्राफ दिखाई दी। वह फोटोग्राफ उल्टी रखी हुई थी। इसलिए यह नहीं पता लग रहा था कि उस फोटोग्राफ में क्या है? उसने जैसे ही फोटोग्राफ उलट के देखी उसके होश उड़ गए। उस फोटो में डॉक्टर मयंक और सोनिया आपत्तिजनक अवस्था में थे। उसने मनोज को फोटो दिखायी।
मनोज ने कहा,-“ इसका मतलब इस क़त्ल की वजह कहीं यह फोटो तो नहीं?”
अविनाश ने कहा,-“इसकी संभावना ज्यादा दिखाई दे रही है। इसके बारे में सोनिया से बात कर लेते हैं। ड्राइंग रूम मे आकार अविनाश ने सोनिया से इस फोटो के बारे में पूछा। सोनिया के तो जैसे होश ही उड़ गए।
सोनिया ने कहा,-“मुझे इस फोटो के बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
अविनाश ने कहा,-“लेकिन यह तो सही है ना कि डॉक्टर मयंक के साथ आप ही बिस्तर पर लेटी हैं। क्या वाकई डॉक्टर मयंक से आप के नाजायज संबंध हैं। छुपाने से कोई फायदा नहीं है। यह कत्ल का मामला है और आपको सब कुछ सही सही बताना ही होगा।”
सोनिया डरते डरते बोली,-“हां मेरे डॉक्टर मयंक से नाजायज संबंध हैं। लेकिन मुझे इस फोटो के बारे में नहीं मालूम है। यह फोटो मेरे पति के फाइल में कैसे पहुंची इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है?”
“कब से नाजायज संबंध हैं।”
“करीब 2 महीने से। यानि की धनपाल के कोमा में जाने के बाद से।”
“हाँ”
“लेकिन कोई भी आदमी क्यों आपके पति को यह बात बताना चाहेगा। अविनाश उठा और जाकर सोफ़े पर सोनिया के बगल में बैठ गया।
“कहीं कोई आप को ब्लैकमेल तो नहीं कर रहा था।” इतना सुनते ही सोनिया ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
“देखिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है।” अविनाश ने उसे पानी का गिलास दिया। पानी पीने के बाद सोनिया बोली करीब एक महीने पहले मुझे एक खत मिला था। उस खत में लिखा था उसे मेरे और डॉक्टर मयंक के नाजायज संबंधों के बारे में पता है। अगर उसने बताए गए स्थान पर दो लाख रुपए नहीं रखे तो वह यह बात पूरे सोसाइटी मे बता देगा।”
“तो आपने दो लाख रुपए दिए।”
“हां मैंने दो लाख रुपए उसके बताए गए स्थान पर रख दिया था। लेकिन लगता है वह दगा दे गया। उसने पैसा लेने के बाद भी ये सूचना धनपाल को दे दी।”
“सोनिया जी ये बात आपने डॉक्टर मयंक को बताई थी कि कोई आपको ब्लैकमेल कर रहा है।”
“नहीं।”
अविनाश ने कहा,-“एक बार हम उस रूम की तलाशी लेना चाहेंगे जिसमें धनपाल की हत्या हुई थी। इसके बाद दोनों को उस रूम मे भी ऐसा कुछ खास नहीं मिला।
“सोनिया जी मुझे नमिता और घनश्याम के रूम की भी तलाशी लेनी है।”
“मेरे साथ आइये।” नमिता के रूम से भी उन्हें कुछ खास नहीं मिला। पर घनश्याम के रूम से उनको एक ब्रीफ़केस मिला। मनोज ने ब्रीफ़केस हाथ में लिया। उसे खोला तो देखा कि उसमें दो लाख रुपए थे।
मनोज ने कहा,-“सोनिया जी कहीं यह वही ब्रीफ़केस तो नहीं है जो आपने ब्लैकमेलर को दिए थे।”
“हाँ सर ये वही है।”
“इसका मतलब घनश्याम आप को ब्लैकमेल कर रहा था।”
अविनाश ने कहा,-“देखिये सोनिया जी ये बात की घनश्याम आपको ब्लैकमेल कर रहा था आप किसी से डिस्कस नहीं करेंगी। और मनोज ये ब्रीफ़केस वहीं रख दो। मनोज आओ एक बार हवेली के बाहर का चक्कर लगा लेते हैं।
बाहर निकल कर अविनाश ने मनोज से कहा,-“मनोज, उस फोटोग्राफ से फिंगेरप्रिंट निकलवाने की कोशिश करो। और अगर तुम कहो तो मैं हवेली में रह रहे नौकरों से भी पूछताछ करना चाहता हूं लेकिन अपने एजेंसी बुलाकर।”
“हां ठीक है।अच्छा अविनाश चलते हैं।” इसके बाद अविनाश एजेंसी लौट आता है।
राजू पूछता है,-“आज तफ़्तीश के दौरान आप लोगों को कुछ पता लगा।”
“हां, काफी कुछ पता लगा। धनपाल के कत्ल होने की वजह है एक तो उसकी बीवी सोनिया का डॉक्टर मयंक से नाजायज संबंध होना और दूसरा सेठ धनपाल का वसीयत बदलने का इरादा।”
तब तक बेबी कहती है,-“सर ड्राफ्ट वसीयत बनाई गई थी इस बात का पता तो वकील तनेजा के हिसाब से केवल डॉक्टर को था। सोनिया को या घनश्याम को या नमिता को कैसे पता होगी ये बात।इस हिसाब से तो केवल सोनिया का डॉक्टर मयंक से नाजायज संबंध होना ही एक कारण है।”
“नहीं बेबी अभी कुछ और बात है। सारी कड़ियाँ आपस मे जुड़ नहीं रही हैं।”
“राजू तुम ऐसा करो होटल स्टार से पता करो की कत्ल वाली रात वाकई नमिता उस होटल में मौजूद थी या नहीं। और घनश्याम के बारे में भी जितनी हो सके जानकारी हासिल करो। तब तक मैं घर के नौकरों से पूछताछ करता हूं। करीब 2 घंटे बाद साईं डिटेक्टिव एजेंसी में धनपाल के तीनों नौकर हाज़िर थे। बेबी अंदर आई और अविनाश से कहा कि सर तीनों नौकर एजेंसी में हाज़िर है।
“सबको एक-एक करके भेजो।” सबसे पहले हवेली के कुक ने प्रवेश किया। अविनाश रौब झाड़ते हुए बोला जितना मैं पूछूं उसका सही सही जवाब देना नहीं तो सारी जिंदगी हवालात में काटनी पड़ेगी।
“जी हुजूर।”
“सेठ धनपाल के कत्ल के बारे में क्या जानते हो।”
“माई बाप मेरी ड्यूटी हवेली में सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक होती है। मैं जब दूसरे दिन हवेली में आया तब मुझे पता लगा की सेठ साहब का रात में किसी ने क़त्ल कर दिया है। और हुजूर हवेली के सभी लोगों का मेरे प्रति व्यवहार बहुत अच्छा था। जिस दिन रात में पार्टी थी उस दिन भी मैं ही खाना बनाकर गया था।”
“सेठ साहब नई वसीयत बनाने वाले हैं इसके बारे में तुम्हें कोई जानकारी थी।”
“नहीं साहब मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।”
“जाओ और माली को अंदर भेज दो।” माली से भी अविनाश को कोई खास जानकारी हासिल नहीं हुई। इसके बाद नौकरानी ने केबिन में प्रवेश किया।
“क्या काम करती हो? मैं पूरे घर का झाड़ू पोछा करती हूं और बाकी समय सोनिया मेम साहब के साथ रहती हूँ।”
“सोनिया का तुम्हारे प्रति कैसा व्यवहार था?”
“घर के सभी लोग बहुत अच्छे हैं साहब। मैं यह बात दावे से कह सकती हूँ कि सेठ धनपाल का कत्ल इन लोगों में से किसी ने नहीं किया है।”
“मैंने तुमसे तुम्हारी राय नहीं पूछी है।क्या तुम्हें पता था कि सोनिया मेमसाब का डॉक्टर मयंक से नाजायज संबंध है?” नौकरानी थोड़ा हिचकिचाने लगी।
“हां साहब वह कभी-कभी मुझे भी लेकर डॉ मयंक के क्लिनिक जाती थी।”
“तूने कभी उन्हें मना नहीं किया।”
“साहब मेरी क्या औकात है?”
“तुम चाहती हो कि धनपाल का कातिल पकड़ा जाए।”
“हां साहब ज़रूर। सेठ साहब बहुत अच्छे आदमी थे।”
“इधर बीच कोई ऐसी बात जो तुमने नोटिस की हो या तुम्हें अजीब लगी हो।”
“नहीं साहब। ऐसा कुछ नहीं। ठीक है तुम सब हवेली वापस चले जाओ।” इसके बाद नौकरानी दरवाज़े से बाहर निकल गई। पर एक ही पल में वह दोबारा अंदर आई और अविनाश से कहा,-“ साहब एक अजीब बात है पता नहीं मुझे आप को बतानी चाहिए की नहीं।”
“बताओ क्या है?”
“एक बार सोनिया मेम साहब नहा कर के बाथरूम से जब अपने रूम में वापस आई तो मैंने देखा उनके पीठ के नीचे कमर के पास एक निशान बना हुआ है।”
“कैसा था वह निशान?”
“गोल घेरे में तलवार का निशान था।”
“गोल घेरे में तलवार का निशान! ठीक है तुम जा सकती हो।” उसके जाने के बाद अविनाश ने बेबी को अंदर बुलाया और कहा बेबी,-“जरा इंटरनेट पर पता करो की गोल घेरे में तलवार के निशान क्या मतलब होता है? शाम को एजेंसी बंद कर देना मैं ज़रा बाहर किसी काम से जा रहा हूं।” इसके बाद अविनाश सीधा डॉ मयंक के क्लिनिक दोबारा पहुंच गया
“आप मेरे ड्राइंग रूम में बैठे। मैं अभी थोड़ी देर में आता हूं। थोड़ी देर बाद मयंक ने ड्राइंग रूम में प्रवेश किया।
“क्या ड्रिंक लेना पसंद करेंगे।”
“मुझे कोई आपत्ति नहीं।”
मयंक एक ड्रिंक अविनाश को दिया और एक खुद लेकर के सोफे पर बैठ गया।
“हां कहिए क्या बात करनी थी?”
“मुझे आपसे मुझे कुछ खास बातें करनी हैं। सेठ धनपाल के कत्ल के तफ्तीश के दौरान धनपाल के फाइल में एक फोटो बरामद हुई है जिसमें आपकी और सोनिया की आपत्तिजनक स्थिति में तस्वीर है।” यह सुनते ही डॉक्टर मयंक का चेहरा उतर गया।
“और दूसरा धनपाल के लान से एक गन बरामद हुई है। बैलेस्टिक एक्स्पर्ट्स के अनुसार कत्ल उसी गन से हुआ है। और पुलिस ने पता लगा लिया है वह गन आपके के नाम से रजिस्टर्ड है।”
मयंक चौंक कर बोला,-“क्या? इसका तो मुझे पता ही नहीं था। पर आपकी जानकारी के लिए मैं ये बता दूँ कि मैंने पास के ही थाने मे अपने गन की खोने की रिपोर्ट लिखवा दी है।”
“कब लिखवाई आपने।जिस रात धनपाल का कत्ल हुआ था उसके दूसरे दिन सुबह।”
“जब आपको पता चला की गन तो गलती से गिर गई है भागते समय लान मे। तो अपने ये तरकीब निकाली और अपने गन की मिसिंग रिपोर्ट दर्ज़ करा दी।कौन आपकी बात का विश्वास करेगा।रिपोर्ट तो आपने कत्ल के बाद लिखवाई है डॉ मयंक। पुलिस कभी नहीं विश्वास करेगी।अ च्छा यही होगा की आप सब सही सही बता दे।”
“आप मेरी बात का विश्वास करें। मैंने धनपाल का कत्ल नहीं किया है। और मुझे उस फोटो के बारे कुछ भी नहीं पता है। वाकई मेरी गन चोरी हो गई है।”
अविनाश ने पूछा,-“आपके हिसाब से गन के बारे में किसको पता था?”
“जहां तक मुझे याद है सिर्फ सोनिया को।”
“सोनिया को। अच्छा एक बात बताइए वसीयत की ड्राफ्ट कॉपी आपने कहाँ रखी थी।”
“उसी अलमारी में, गन के आसपास वसीयत रखी थी। पर मैंने अभी तक वसीयत एनवेलप से निकालकर देखी भी नहीं है।”
“ठीक है इस ड्राफ्ट वसीयत को एनवेलप सहित मैं रख लेता हूँ। पुलिस आपको गिरफ्तार कर सकती है।”
“किस वजह पर।”
“वजह बहुत साफ है। सोनिया से आप के नाजायज संबंध का धनपाल को पता लगना और आपका उसको अपने ही गन से मार देना।”
“पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है।”
“वह तो समय ही बताएगा कि किसने क्या किया और किसने क्या नहीं? फिर भी मैं कोशिश करूँगा मनोज अभी फिलहाल आप को गिरफ्तार ना करें। पर आप शहर छोड़ कर कहीं जाइएगा नहीं क्योंकि आप शक के दायरे में हैं? अब मैं चलता हूं।”
इसके बाद अविनाश सीधे थाने पहुंचता है। इंस्पेक्टर मनोज अपने केबिन में बैठा दिनभर की थकान से ऊंघ रहा था।
“और क्या चल रहा है?”
“कुछ नहीं यार आज बहुत थक गए हैं। और तुम बताओ।”
“ऐसे ही तुम्हारा ही काम कर रहे हैं।”
“यार कुछ भी कहो मैंने दोस्त बहुत अच्छा बनाया है।”
“मैं किसी खास काम से आया था? क्या तूने फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट से फोटो पर मिले निशान का पता लगवाया”
“हां मैंने पता लगाया है। उस पर तो किसी के उंगलियों के निशान नहीं है।”
“बड़ी अजीब सी बात है आजकल लोग बहुत ही स्मार्ट हो गए हैं।हर काम दस्ताने पहन कर करते है। आपत्तिजनक फोटोग्राफ से भी किसी के उंगलियों के निशान नहीं मिले यह बड़ी चौंकाने वाली बात है। यार एक काम करो मैं डॉ मयंक से मिलकर आ रहा हूं। वकील तनेजा ने एक ड्राफ्ट वसीयत बनाई थी धनपाल के कहने पर। वो वसीयत उसने डॉक्टर मयंक को भी दी थी। इस लिफाफे के अंदर वह वसीयत है। मैं यह चाहता हूं कि तुम इस वसीयत के कागज़ के ऊपर से तो फिंगरप्रिंट्स उतरवाने का इंतजाम करो। मैं यह देखना चाहता हूं कि इस पर किस-किस के फिंगर प्रिंट्स मौजूद है। और हाँ जब तक मैं न कहूँ डॉ मयंक को गिरफ्तार मत करना। एक-दो दिन मुझे और तफ्तीश कर लेने दे। केस उलझा हुआ जरूर है लेकिन मेरे समझ में कुछ कुछ आ रहा है। कुछ चीजें मिसिंग है जिसको मैं जोड़ने की कोशिश कर रहा हूं। अभी तो मैं घर जा रहा हूं मैंने राजू को किसी काम पर लगाया हुआ है”
इसके बाद अविनाश अपने घर चला जाता है। दूसरे दिन करीब 10:00 बजे राजू कैबिन मे उससे मिलता है।
“राजू, कुछ पता चला।”
“हाँ सर। आप के कहे के मुताबिक मैंने घनश्याम और नमिता के बारे में पता लगाया है। मैंने होटल स्टार जाकर के यह पता लगाया है कि नमिता उस रात अपने बॉयफ्रेंड के साथ रूम में मौजूद थी। मैंने उस वेटर से पूछताछ की है जो उस रात नाइट ड्यूटी पर था। रात मे करीब 11:00 बजे के आसपास नमिता अपने बॉयफ्रेंड के साथ होटल के फोर्थ फ्लोर पर रूम नंबर 45 में सुबह 3:00 बजे तक थी। वेटर ने बताया है कि करीब 12:00 बजे वो ड्रिंक सर्व करने के लिए रूम में गया था। उसने देखा था नमिता चादर ओढ़ करके बेड पर लेटी थी और पहले से ही बहुत ज्यादा नशे में थी और अपने बाप के बारें मे उल्टा सीधा बक रही थी। उसका बॉयफ्रेंड सोफे पर बैठा था और वह भी काफी नशे में था।”
“नमिता जब होटल मे गई थी तो उसने पहना क्या था?”
“सर, साड़ी। यह मैंने स्पेशली पूछा था और वापस लौटते समय भी वह साड़ी पहन कर ही लौटी थी। सर ऐसा भी तो हो सकता है कि 12:00 बजे के बाद वह भेष बदल करके हवेली चली गई हो और कत्ल करके दोबारा होटल आ गई हो।”
“लेकिन तुम तो बता रहे थे कि वह काफी नशे में थी।”
“सर यह तो वेटर को एहसास हुआ ना। वास्तविकता क्या थी हम क्या जाने? और सर यह भी तो हो सकता है कि वेटर को उसने दारु के साथ सिर्फ अपने रूम में अपना गवाह बनाने के लिए बुलाया हो।”
“ये भी हो सकता है।”
“सर, वेटर कह रहा था कि नमिता करीब हर रात बॉयफ्रेंड के साथ होटल में गुजारती है। वह बहुत ही आवारा और बदचलन किस्म की लड़की है”
अविनाश ने कहा,-“शायद यही वजह थी कि धनपाल अपनी लड़की से बहुत नाराज़ थे। वो उनकी काफी बदनामी करा रही थी। शायद इसी वजह से उसने उसको जायदाद से बेदखल करने की धमकी भी दी थी। अच्छा और घनश्याम के बारे में क्या पता चला?”
“सर यह बात सही है कि घनश्याम अपने 4 दोस्तों के साथ जुआ खेल रहा था। मैंने वेटर से पूछताछ की थी। वेटर के मुताबिक वह भी काफी नशे में था। जुआ, ड्रग्स, लड़की यह सब उसकी बुरी आदतें हैं। उसके ऊपर लाखों का उधार भी है।”
“इसका मतलब उसे पैसे की ज्यादा जरूरत है। धनपाल के मरने में सबसे ज्यादा फायदा घनश्याम को ही नजर आ रहा है क्योंकि उसे पैसे की बहुत आवश्यकता थी?
राजू बोला,-“मुझे तो यहां तक पता लगा है कि घनश्याम को जान से मारने की धमकियां भी मिल रही है। अगर उसने समय पर पैसा नहीं चुकता किया तो वह मुश्किल मे पड़ सकता है।”
“लेकिन राजू उसके पास भी गवाह मौजूद है कि हत्या वाली रात वो हवेली मे मौजूद नहीं था। अच्छा जरा बेबी को बुलाओ।”
“बेबी तुम्हें उस निशान के बारे में कुछ पता चला।”
“सर नेट से कुछ मिलती-जुलती बातें पता चली है। इस तरह के निशान का प्रयोग है पहचान के तौर पर किया जाता है। जैसे कही कोई गैर कानूनी काम चल रहा हो तो उसमें काम करने वाले कर्मचारियों के शरीर पर इस तरीके के निशान लगा दिए जाते हैं। जो आसानी से दिखते भी नहीं और यही देख करके उनको एंट्री मिलती है।”
“लेकिन इस प्रकार के निशान का सोनिया के शरीर पर पाए जाने का क्या मतलब है।”
“सर हो सकता है ये किसी किस्म का टैटू हो। आजकल के बहुत लोग बनवाते हैं।”
“लेकिन पीठ पर कमर के पास अजीब सा लग रहा है। ऐसा करो बेबी मेरी तुरंत निजामपुर के लिए फ्लाइट की टिकट बुक करा दो। इस केस से जुड़े लोगों की फोटो मैं थाने से ले लूँगा। लगता है सोनिया के अतीत के कुछ तार निजामपुर से भी जुड़े हैं। राजू मैं निजामपुर जा रहा हूं। जल्दी से जल्दी मैं वापस आने की कोशिश करता हूं । तुम इसकी जानकारी किसी को मत देना। दूसरे दिन शाम को अविनाश वापस आजमनगर लौट आता है। बेबी और राजू दोनों ऑफ़िस में मौजूद होते हैं।
“अरे सर आप तो बहुत जल्दी लौट आए।”
“हां काम हो गया तो मैं लौट आया। पर तुम लोग घर क्यों नहीं गए? ऐसे ही सर, घर जाकर भी क्या करना है? हम लोगों ने सोचा यहीं टाइम पास किया जाय।”
“ठीक है। मेरे केबिन में आओ”
राजू पूछता है,-“ सर कुछ पता लगा क्या सोनिया के बारें मे?”
“निजामपुर मे मेरे कई लोग परिचित हैं जो होटल चलाते हैं। उन लोगों को मैंने वो निशान दिखाए। वहीं से मुझे पता चला कि एक डांस बार है निजामपुर में। जिस में काम करने वाले कर्मचारियों को इस प्रकार के निशान लगाए जाते थे। हो सकता है वहां कुछ गलत धंधे भी होते हो। जब मैं वहां के बार के मालिक से मिला तो उसने इस बात की पुष्टि की कि सोनिया उस बार में कैबरे डाँसर थी। उस समय एक आदमी बार में रेगुलर आया जाया करता था। उससे सोनिया की आशिकी हो गई और बाद में सोनिया वह बार छोड़कर के कहीं चली गई। पता है वह आदमी कौन था? वकील तनेजा।
राजू ने कहा,-“सर, ये तनेजा अब कहां से इस पिक्चर में आ गया। कहीं इस कत्ल में तनेजा का भी तो हाथ नहीं है।”
अविनाश ने कहा,-“चक्कर कुछ समझ में नहीं आ रहा है। पहले सोनिया का रिश्ता वकील से था। आज सोनिया का रिश्ता डॉक्टर से है। जिससे शादी हुई उसका कत्ल हो गया है।अगर तनेजा कातिल है तो इसमे तनेजा का क्या फायदा है? कहीं ये खून बदले की भावना से तो नहीं किया गया।”
“ठीक है राजू बेबी तुम लोग घर जाओ। इसके बाद अविनाश अपने घर लौट आया और वहाँ से इंस्पेक्टर मनोज को फोन लगा दिया।
“मनोज वसीयत के कॉपी पर किस के उंगलियों के निशान पाए गए।”
“सिर्फ दो लोगों के निशान हैं। घनश्याम और नमिता के।”
“इसका मतलब घनश्याम और नमिता डॉक्टर मयंक के घर चोरी छुपे वसीयत देखने गए थे। डॉक्टर मयंक ने बताया था कि उसने गन भी उसी अलमारी में छोड़ रखी थी जिसमे वसीयत थी। हो सकता हो घनश्याम और नमिता मे से ही किसी ने गन चुराई हो। केस बहुत उलझ गया है। चल कल बात करते है।इसके बाद अविनाश अपने घर के टेरेस पर शांति से बैठकर पूरे केस को फिर से सोचता है।”
दूसरे दिन सुबह अविनाश मनोज को फोन करता है और कहता है कि मनोज अगर सब कुछ ठीक रहा तो मैं आज की रात कातिल को पकड़ लूंगा।
मनोज ने कहा,-“ वह कैसे?”
“वह सब मैं तुम्हें अभी नहीं बता सकता। पर तुम एक काम करो। अपने दल बल के साथ रात में करीब 11:00 बजे मुझे और राजू को मेरे घर से ले। इसके बाद हम लोग धनपाल की हवेली चलेंगे। लेकिन ध्यान रहे आगे के रास्ते नहीं पीछे के रास्ते से।
“ठीक है।”
इसके बाद करीब रात को 11:00 बजे के आसपास इंस्पेक्टर मनोज, सब इंस्पेक्टर राहुल, अविनाश और राजू हवेली के पीछे पहुंचते हैं। राहुल जीप को ले जाकर थोड़ी दूर अंधेरे में खड़ी कर देता है। इसके बाद वह चारों लोग पैदल धीरे-धीरे बाउंड्री लांघ कर हवेली में घुस जाते हैं। घने कोहरे की वजह से उनका काम और भी आसान हो जाता है।
राजू और सब इंस्पेक्टर राहुल को वो लोग नीचे छोड़ देते हैं। अविनाश इन दोनों से कहता है कि मैं और मनोज ऊपर जा रहे हैं सोनिया के रूम में। हो सकता है कोई पाइप के रास्ते सोनिया के रूम में जाने की कोशिश करेगा। जैसे ही कोई पाइप पर चढ़ने लगे तो मोबाइल से मुझे इन्फॉर्म कर देना। लेकिन सतर्क रहना। उस आदमी को यह आभास नहीं होना चाहिए कि हम लोग उसके आसपास फैले हैं। अब तुम लोग लान में इस तरीके से छुप जाओ कि उसको दिखाई ना दो। और तुम लोग आवाज़ बिल्कुल नहीं करना।
इंतजार करते काफी वक्त बीत गया करीब। रात 1:00 बजे के आसपास राजू और राहुल ने देखा कि एक नक़ाब युक्त साया बाउंड्री लांघकर हवेली में घुसा। चारों तरफ घना कोहरा होने के कारण उसे देख पाना और पहचान पाना बहुत मुश्किल था। धीरे-धीरे वह चेहरा बाउंड्री लांघ कर पाइप के पास पहुंच गया और पाइप के सहारे धीरे धीरे चढ़ने लगा। राजू ने तुरंत मोबाइल से अविनाश को इन्फॉर्म कर दिया। इसके बाद वह साया धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए पहले फ्लोर पर स्थित सेठ धनपाल के रूम में खिड़की खोलकर घुस गया। और उस रूम से धीरे धीरे चलते सोनिया के रूम में आ गया। उसने देखा सोनिया के रूम का दरवाज़ा पहले से खुला पड़ा था और रूम में अंधेरा था। वो साया धीरे-धीरे सोनिया के बेड तक पहुंचा। उसने महसूस किया कि सोनिया अपने बेड पर आराम से सो रही है। उसने धीरे से अपनी साइलेंसर युक्त रिवाल्वर निकाली और उस पर फायर कर दिया। जैसे ही उसने फायर किया अविनाश ने लाइट जला दी। मनोज ने लपककर उसके हाथ पर एक जोरदार वार किया। उसके हाथ से गन छूटकर नीचे गिर गयी। अविनाश ने लपककर गन उठा ली। मनोज ने गुस्से में कहा अगर जरा भी हिले तो गोली मर दूँगा। उस आदमी ने जिसे गोली मारी थी वो आदमी की तरह दिखने वाला एक तकिया था।
अविनाश ने कहा मनोज इसे हथकड़ी पहनाओ और इसके सर से नक़ाब उतारो। । मनोज ने तुरंत उसका नक़ाब खींचा। अविनाश ने कहा,-“मुझे उम्मीद थी कि तू ही होगा ‘तनेजा’।
सोनिया ने गुस्से से कहा,-“ तनेजा तू। तुम क्यों मुझे मारना चाहते हो।
तनेजा ने गुस्से से बोला,-“इसलिए ताकि तू अपना बयान पुलिस के सामने ना दे सके।”
सोनिया बोली,-“लेकिन मैं क्यों पुलिस के सामने बयान दूँगी?”
तनेजा बोला,-“लेकिन तूने ही तो लेटर लिख करके मुझे इन्फॉर्म किया था कि तू कल पुलिस के सामने बयान देने जा रही है कि मैंने सेठ धनपाल का कत्ल किया है।”
सोनिया ने कहा,-“मैंने कब लेटर लिखा। मैंने तो कोई पत्र किसी को नहीं लिखा है।”
अविनाश ने कहा,-“पत्र सोनिया जी आपने नहीं मैंने लिखा था। तनेजा को ही नहीं, मैंने वह पत्र डॉक्टर मयंक को घनश्याम को और नमिता को भी लिखा था। लेकिन फंसा वकील तनेजा।” तभी राहुल और राजू भी ऊपर आ गए।
अविनाश ने कहा,-"मनोज, सोनिया को भी हथकड़ी लगा दो। कल थाने में हम विस्तार से चर्चा करेंगे। बहुत रात हो चुकी है। इंस्पेक्टर मनोज कल सुबह 10:00 बजे आप सबको थाने बुला लीजिएगा।"
सुबह 10:00 बजे थाने मे मनोज कुर्सी पर बैठा था। हथकड़ी लगे वकील तनेजा और सोनिया लाये गए। ।उनको कुर्सी पर सामने बिठाया गया। मनोज के दाहिने तरफ अविनाश, राजू, बेबी, डॉ मयंक, घनश्याम, नमिता और निष्पक्ष रोज के संपादक पंकज सिंह बैठा था।
मनोज ने कहा,-"हां अविनाश किस्सा क्या है?जरा विस्तार से बताओ।
अविनाश ने सिगार जलाया और कहा,- "यह मेरा अनुमान है लेकिन जहां तक मैं समझता हूं यही कहानी हुई होगी। आज से करीब 3 साल पहले सोनिया निजामपुर के एक बार में कैबरे डांसर थी। उस बार में वकील तनेजा का भी आना जाना था। इन दोनों में प्यार हो गया। तनेजा सोनिया को निजामपुर से भगाकर आजमनगर ले आया। यहां पर इसने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की और सोनिया उसकी असिस्टेंट बन गयी। उसी बीच सेठ धनपाल का इसके यहां आना जाना शुरु हो गया। धनपाल के सारे कानूनी काम वकील तनेजा ही करता था। सेठ धनपाल सोनिया पर आसक्त हो गए। यह बात वकील तनेजा ने भाँप ली। उसने सोनिया को समझा बुझा करके सेठ जी शादी के लिए राजी कर लिया होगा। तनेजा को सेठ की सेहत के बारे मे पता था कि वह बहुत ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है। शादी करने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि वकील तनेजा के कहने पर सेठ ने एक वसीयत बनाई जिसमें सारी वसीयत को सोनिया ,घनश्याम और नमिता मे बराबर बाँटा गया था। इनका इरादा था कि सेठ के मरते ही सोनिया तनेजा से शादी कर लेगी। सोनिया ने सेठ को दारू की लत और लगा दी। धीरे-धीरे सेठ की हालत खराब होने लगी और मुझे ऐसा लगता है कि वह घनश्याम और नमिता के आचरण से बहुत नाखुश थे इसीलिए बीच-बीच में उन्होंने इन दोनों को धमकी देना किया शुरू किया कि अगर यह दोनों नहीं सुधरे तो वह इन दोनों को अपनी जायदाद से बेदखल कर देंगे।
इसी बीच एक घटना घट गई। घनश्याम भी बहुत बार दारू पीने आता जाता था। उसको कहीं से यह पता लग गया कि सोनिया निजामपुर के एक बार में कबरे डांसर थी। इस बात लेकर उसने सोनिया को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया क्योंकि धनपाल को ये बात पता नहीं थी कि सोनिया एक बाजारू किस्म की औरत है।
सोनिया से घनश्याम को धीरे-धीरे दो लाख रुपय दिये। पर सोनिया को यह नहीं पता था कि ब्लैकमेल करने वाला आदमी घनश्याम है।
घनश्याम और नमिता के व्यवहार से परेशान होकर सेठ ने वसीयत बदलने का इरादा किया। उसकी नई वसीयत के के हिसाब से इन्होंने अपनी पूरी चल और अचल संपत्ति का 50 परसेंट पार्ट शिवम अनाथालय के नाम कर दिया। 30 पर्सेंट सोनिया को, 10% घनश्याम और 10% नमिता को दे दिया। वकील तनेजा ने यह वसीयत बनाई और उसकी एक ड्राफ्ट कॉपी डॉ मयंक के घर भी रख दी। जैसे ही सबको पता लगा कि सेठ ने वसीयत बदलने का इरादा कर लिया है सब लोग डर गए। सोनिया का हिस्सा भी काफी कम हो गया था इसलिए वकील तनेजा भी कुछ करने की सोच रहा होगा। लेकिन इसी बीच सोनिया ने ब्लैकमेलिंग वाली बात तनेजा को बता दी होगी। यह बात सुनकर तनेजा बिल्कुल घबरा गया। उसने सोचा अगर यह बात सबको पता लग गई वह तो सेठ पूरी जायदाद से सोनिया बेदखल कर देंगे। उनके किए कराए पर पानी फिर जाएगा। इसलिए उन्होंने आनन-फानन में सेठ के क़त्ल की साजिश रची।
मैं एक बात और बता दूँ जहां तक मुझे लग रहा है सोनिया का डॉक्टर से नाजायज संबंध इस प्लान का एक हिस्सा था। मयंक एक डॉक्टर है जिससे सोनिया को सेठ की हेल्थ के बारे मे भी पता चलता रहता था। सोनिया मैं ठीक बोल रहा हूं ना। सोनिया ने गुस्से में मुंह फेर लिया। अविनाश तुम आगे कहो।
बस फिर क्या था ? वकील ने किसी आदमी को सेट करके इन दोनों की आपत्तिजनक फोटो खिंचवा ली। और सोनिया ने डॉक्टर की गन चुरा ली। इन दोनों की यह बहुत बड़ी ग़लती थी। जल्दीबाजी में उस फोटो को फाइल में सोनिया ने उल्टा करके रख दिया। पर फोटोग्राफ पर सेठ के ऊँगलियों के निशान नहीं थे। बल्कि फोटो पर किसी के निशान नहीं थे। अब इसकी संभावना बहुत ही कम है कि कोई आदमी फोटो को सीधा करके देखें और उसके उंगलियों के निशान ना पड़े। संभावना है लेकिन बहुत ही कम।
फैक्ट बात तो यह है कि धनपाल ने वह फोटो देखी ही नहीं। वो जस की तस उल्टी फ़ाइल मे पड़ी रही। शुरू में हम लोग को इसी फोटो के बेस पर शक हुआ था कि डॉक्टर मयंक का हाथ धनपाल के कत्ल में हो सकता है। सोनिया ने बताया कि कत्ल वाली रात को इनकी एक छोटी सी पार्टी थी। अब आप सब यह बताइए यदि सेठ साहब ने वो आपत्तीजनक फोटो देखी होती तो इस प्रकार की पार्टी का आयोजन करते और इन लोगों को बुलाते। इसकी भी संभावना बहुत कम है। इसका मतलब वह फोटो सोनिया ने जानबूझकर के फाइल में रखी थी हमें गुमराह करने के लिए।
अब हम दूसरे पहलू पर आते हैं। जब हम लोगों ने क्यारी में ढूंढा तो हमें डॉक्टर की गन बड़ी आसानी से मिल गई। जबकि उस दिन सुबह सोनिया ने बागवानी की थी और बागवानी करने के दौरान तनेजा के जूतों के निशान भी ज़मीन से मिटा दिये।कत्ल करने के बाद जानबूझकर डॉक्टर ने गन को खेत में गिरा दिया था। और सोनिया डॉक्टर की गन को पहचानती भी है लेकिन इन्होंने जानबूझकर उस गन को क्यारी में पड़ा देखे हुए भी हम लोगों को नहीं बताया। इसीलिए मैं शुरु से ही कंफर्म था कि डॉक्टर को फसाने की कोशिश की जा रही है।
फिर मेरा शक घनश्याम पर गया। यहाँ पर भी सोनिया ने झूठ बोला।उसने बोला कि उसको मयंक के संबंध की वजह से उसे ब्लैकमेल किया जा रहा है।पर ऐसा नहीं था।वो कबरे डांसर थी।बाजारू औरत थी उसको इस वजह से घनश्याम ब्लैकमेल कर रहा था ।मुझसे एक गलती हो गई कि मैंने ये बात घनश्याम से कन्फ़र्म नहीं की।यहाँ पर भी सोनिया ने हमें गुमराह किया।
ब्लैकमेलिंग के पैसे हमें घनश्याम के रूम से बरामद भी हो गए। पैसे की जरूरत घनश्याम को भी बहुत थी पर कत्ल वाली रात घनश्याम और नमिता दोनों ही हवेली से बाहर थे। राजू ने पता लगाया था।
हालांकि इन दोनों ने डॉ मयंक के घर जाकर वसीयत की कॉपी को देखने की कोशिश की थी। इन दोनों के हाथ के निशान वसीयत पर थे। पर सोनिया के नहीं थे क्योंकि सोनिया को वसीयत के बारें मे पहले से ही तनेजा से पता था।सोनिया को वसीयत देखने की ज़रूरत ही नहीं थी।सोनिया का मकसद तो गन चुराना था।
सोनिया पर तो मुझे शक हो रहा था पर पता नहीं क्यों मुझे लग रहा था कि यह सोनिया के अकेले का काम नहीं है। जब मैंने नौकरानी से तफ्तीश किया तो मुझे पता लगा की सोनिया के पीठ पर कमर के पास सोनिया के शरीर पर एक निशान बना है। बस इसी निशान की मदद से मुझे सोनिया के अतीत के बारे में पता चला। मैंने एक फर्जी लेटर लिखा। उस लेटर पर वही निशान बना कर घनश्याम, नमिता, डॉ मयंक और वकील तनेजा को पोस्ट कर दिया। उसी निशान की वजह से वकील समझा की वाकई यह लेटर सोनिया ने लिखा है।मैंने झूठ कह दिया था कि इन सब का फोन टैप हो रहा है। बस वकील तनेजा मेरे झांसे में आ गए। मनोज घनश्याम को भी पकड़ लीजिए। ब्लैकमेलिंग के साथ-साथ इसने रात में सेठ धनपाल को डराने का भी गुनाह किया है। इसको तो पता ही था कि वह दिल के मरीज हैं।
एक अंतिम बात उस रात सेठ किस कमरे मे सोया है ये बात सिर्फ घर वालों को पता थी।इसका मतलब कोई तो था जो मिला हुआ था।वो सोनिया थी।फिर इसने खिड़की की कुंडी अंदर से खोल दी।कत्ल के बाद रूम की काफी सफाई कर दी। पर जल्दीबाजी मे खिड़की पर पड़े जूते के निशान को देख नहीं पायी।पर वो जूते का निशान बहुत साफ नहीं था।
मनोज ने गुस्से से कहा कि राहुल इन तीनों को हवालात मे बंद कर दो।
अविनाश ने कहा,-"डॉक्टर मयंक आप तो सेठ साहब के बहुत अच्छे दोस्त थे। डॉक्टर मयंक ने शर्म से सर झुका लिया। और नमिता अब तुम्हें होटल में अपने बॉयफ्रेंड के साथ रात गुजारने की जरूरत नहीं है। हवेली खाली है।”
नमिता ने भी शर्म से सर झुका लिया।पंकज तुम्हें तो एक तड़कती भड़कती न्यूज़ दोबारा मिल गई। सब लोग जोर से हंसने लगे। मनोज ने एक बार फिर अविनाश को पुलिस डिपार्टमेंट की मदद करने के लिए धन्यवाद दिया।
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